बादल ☁️ कब सफेद और कब काले होते हैंं यह जवाब बड़ा रोचक और वैज्ञानिक है और हममें से अधिकांश लोग इसका जवाब जानते हुए भी नहीं जानते हैं। इन बातों को जानने से पहले हमें यह जानना चाहिए कि बादल आखिर बनते कैसे हैं।
बादल ☁️ का बनना
बादल बनना एक सुन्दर प्राकृतिक घटना है। यह घटना मुख्यतः बरसात या गर्मी के मौसम में होती है। आखिर गर्मी के मौसम में ही क्यों ऐसा होता है यह प्रश्न उठ सकता है। दरअसल पृथ्वी के जिस भी भाग पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है वहां के आसपास के जलवायु या जल वाष्प बनकर ऊपर उठने लगते हैं। यह जलवाष्प जल के अतिसूक्ष्म होने के कारण काफी हल्के होते हैं और आसमान में आसानी से इधर-उधर आ जा सकते हैं। जब यही जल के अतिसूक्ष्म कण अधिक मात्रा में इकट्ठे होते हैं तो हमें बादलों के रूप में आसमान में दिखाई देते हैं।
बादल काले क्यों होते हैं ?
बादल का रंग इन दो बातों पर निर्भर करता है -
- बादल को किधर से देखा जा रहा है।
- बादल के घनत्व या बादल के प्रकार पर।
काले बादल का बनना
जब बादलों में जलवाष्प की मात्रा अधिक हो जाती है तो ऐसे बादल पारदर्शी नहीं रह जाते हैं क्योंकि इनमें शूक्ष्म धूल के कण चिपक जाते हैं। जिस बादल में जलवाष्प की अधिकता जितनी अधिक होती है उसमें उतने ही ज्यादा धूल - कण चिपक जाते हैं। इन कणों के साथ धीरे - धीरे जलवाष्प एकठ्ठा होती रहती है। क्योंकि जो भी जलवाष्प भरी गैस धरती से ऊठती है वह सब इन बादलोंरुपी इन कणों पर चिपक जाती हैं। इसी कारण ऐसे बादल सूर्य या चन्द्रमा की रोशनी में काले दिखाई देते हैं।
जब ऐसे बादलों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो बादल से प्रकाश पार न होने की वजह से बादल के दूसरे छोर ( किनारे ) पर इसकी छाया ( परछाईं ) बन जाती है। अतः धरती पर से ऐसे बादलों को देखने से यह काले दिखाई देते हैं। जिस बादल में जितना अधिक पानी होगा वह उतना ही काला दिखाई देता है।
जब ऐसे बादलों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो बादल से प्रकाश पार न होने की वजह से बादल के दूसरे छोर ( किनारे ) पर इसकी छाया ( परछाईं ) बन जाती है। अतः धरती पर से ऐसे बादलों को देखने से यह काले दिखाई देते हैं। जिस बादल में जितना अधिक पानी होगा वह उतना ही काला दिखाई देता है।
अगर इसी बादल को जिधर से प्रकाश पड़ रहा है, देखें तो यह काला नहीं बल्कि सफेद दिखाई देता है देगा या बादलों को ऊपर अथवा आसमान से देखने पर सफेद दिखाई देता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिधर सूर्य का प्रकाश पड़ता है उधर प्रकाश परावर्तित होता है और हमारी आंँखों पर ऐसा ही रंग बनता है।
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