भाग का सूत्र और इसकी सीमाएँ (Division Formula and Limits)


भाग ( Division ) 

आज हम इस आर्टिकल में भाग के सूत्र की सीमा और उपयोग के बारे में जानेंगे। भाग को अच्छी तरह से समझने के लिए इसके सूत्र की आवश्यकता होती है। तो चलिए हम सबसे पहले भाग के बारे में जानते हैं। 


भाग क्या होता है ? 

    किसी भी वस्तु, व्यक्ति या फिर कोई भी चीज हो उसे समझने के लिए हमें उसके बारे में बेसिक जानकारी जाननी होती है, तभी हम अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि फला चीज ऐसे क्यों काम करती है। ठीक इसी तरह से भाग भी है। 

आईए उदाहरणों से समझते हैं। 

8 को 4 बराबर भागों में बाँटना 

   अगर हमें 8 को चार बराबर भागों में विभाजित करना या बाँटना है तो इस तरह कर सकते हैं। 
8 = 4 + 4 
   = (2 + 2) + (2 + 2) 
   = 2 + 2 + 2 + 2
   = 4 ( 2 )  या  आठ के चार बराबर भाग दो - दो के हुए। 

सबसे पहले हमने 8 को दो बराबर भागों में विभाजित किया फिर उन दोनों ( 4 + 4 ) भागों को दो - दो भागों में विभाजित किया। इस तरह से 8 के कुल चार बराबर भाग हो गये। 
 यह तरिका एकदम बेसिक है इसीलिए यह थोड़ा सा बड़ा दिख रहा है। इसे संक्षिप्त रूप में हल करने के लिए गणितज्ञों ने एक सूत्र की खोज की जिसे भाग का सूत्र कहते हैं जिसे हम निचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं। भाग के नियम से 8 के चार भाग करने पर प्रत्येक भाग या हिस्से 2 के होगें । 





भाग का सूत्र (Division's Formula)

         भाग का सूत्र क्या है, इसे निचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं । 



Division's Formula





भाग के सूत्र की क्या विशेषता है यह जानने के लिए हमें भाग के सभी अंगों के बारे में जानने की आवश्यकता होगी। 


भाग के मुख्य अंग 

  भाग के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं - 

भाज्य   =  कोई भी संख्या हो जिसमें में भाग दी जाती या की जाती है, उसे उस भाग में भाज्य कहा जायेगा।
 जैसे -  8 ÷ 2 = 4 , इस भाग में  8 को भाज्य कहा जायेगा।
इसके स्थान पर कोई भी संख्या या मान हो सकता है। 

भाजक   = इसी तरह कोई भी संख्या जिससे किसी अन्य संख्या में भाग की अथवा दी जाती है उसे " भाजक" कहते हैं। जैसे - 8 ÷ 2 = 4 , इसमें 2 भाजक है। 

भागफल   =  किसी भी भाग को करने पर कितना हिस्सा या फल आता है या भाग कितनी बार जाती है उसे ही भागफल कहते हैं। जैसे -  8 ÷ 2 = 4,  इसमें भागफल है 

शेषफल  = किसी भी वस्तु को बाँटने पर जो अतिरिक्त या शेष बचता है उसे शेषफल कहते हैं। 
 
उदाहरण के रूप में 8 ÷ 2 = 4 में, 
भाज्य     = 8
भाजक   = 2
भागफल = 4
शेषफल  = 0


13 ÷ 3 = 4.333 में, 

भज्य      = 13
भाजक   = 3
भागफल = 4.333
शेषफल  = 0.001


भाग के सूत्र की विशेषता 


    इसकी विशेषता कुछ इस तरह से हैं -
  1. इस सूत्र से दुनियाँ की किसी भी भाग को हल किया जा सकता है। 
  2. कोई भी भाग सही है या गलत इस सूत्र से आसानी से पता कर सकते हैं। 
  3. दुनियाँ की कोई भी भाग क्यों न हो सबमें कुछ न कुछ शेषफल अवश्य ही होगा, चाहे उसका मान गणना के योग्य भले ही न हो। 
  4. इस सूत्र की मदत से जीरो में भी भाग कर सकते हैं। 
  5. कोई भी भाग क्यों न हो सबमें भाज्य, भाजक, भागफल तथा शेषफल चारों का होना तय चाहे किसी का मान नगण्य ही क्यों न हो। 


अगर हम पहली और दूसरी खासियत को छोड़ दें और तिसरी की बात करें तो हमें एक आश्चर्यजनक जानकारी देखने को मिलेगी। इसमें यह कहा गया है कि दुनियाँ की कोई भी भाग क्यों न हो पर उसमें शेषफल अवश्य ही होगा। जैसे 8÷2 की बात करें तो इसमें शेषफल क्या होगा ?  तो आप कहोगे की जीरो ( 0 ) ।
लेकिन क्या आपको पता है कि जीरो एक ऐसी संख्या है जिसका अतिसूक्ष्म मान होता है जिसको जोड़ने या घटाने पर लगभग ना के बराबर अंतर होता है पर गुणा और भाग में उतना ही महत्वपूर्ण और प्रभावी अंतर होता है । लेकिन यहाँ पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब हम 8 को 2 से भाग करते हैं तो इसके सिर्फ 4 भाग ही होंगे, ऐसा आप और हम जानते हैं तो ऐसे में शेषफल शून्य ही होगा और शून्य का मान भी कुछ नहीं होता है यह भी स्पष्ट हो रहा है, है ना। कुछ निर्णय लेने से पहले इन बिंदुओं को हमें जरूर देखना चाहिए क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण हैं । 
  1. गणित और व्यवहार में कुछ न कुछ अंतर अवश्य होता है। 
  2. किसी भी वस्तु को एकदम बराबर भागों में बाँटना ( व्यवहारिक जीवन ) में असंभव है। 


हम पहले बिंदु की बात करें तो व्यवहार या प्रक्टिकली जो भी गणना की जाती है उसमें अंतर अवश्य ही होगा। जैसे 8 ÷ 2 को हम जब गणित के माध्यम से हल करेगें तो इसका भागफल 4 आयेगा और शेषफल कुछ भी नहीं बचेगा, परंतु अगर हम किसी वस्तु जैसे एक सेब को चार भागों में बाँटकर दें तो हम जब बाँटेगे तो इसे किसी भी तरह से जब काटेंगे तो कुछ न कुछ अंश इस सेब को काटने पर रह ही जाता है। दूसरी बात कितना ही अच्छे से काटे पर तब भी बराबर - बराबर भागों में नहीं बाँट सकते हैं। इस तरह से हम यह कह सकते हैं किसी भी वस्तु या भाग को पुरी तरह से यानी बिना शेषफल नहीं हो सकता है।
 इसी तरह से किसी भी पेड़ पर लगे सभी फल एकसमान नहीं हो सकते हैं। कुछ न कुछ विभिन्नता अवश्य ही पायी जाती है। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि इस दुनियाँ के हर व्यक्ति के अंगूठे का निशान अलग - अलग होता है चाहे चेहरा या रुप भेषभूशा एकदम देखने में समान ही क्यों न हो। 


इस जानकारी के बारे में आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएँ हमें आपके प्यारे से कमेंट को पढ़ने में खुशी का अनुभव होता है। 


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