जिद क्या है ?


जिद : सफल होने का महामंत्र 

दुनिया के सबसे शक्तिशाली शब्दों में से एक है जिद । इसमें इतनी ऊर्जा होती है कि इसकी मदत आप वो काम कर सकते जो पहले नहीं किया है । जिद मन की भावात्मक ऊर्जा होती है और हम सब जानते हैं कि जिस चीज में मनुष्य का प्रबल मन हो तो उस चीज को हकीकत होने से कोई भी नहीं रोक सकता है। लगभग दुनिया के सभी कामों में काम के मुताबिक जिद होना चाहिए उस काम को सफल करने के लिए। जिद को हम महामंत्र के रूप में उपयोग कर सकते हैं और मनचाही सफलता प्राप्त कर सकते हैं । दुनियाँ में ऐसे तमाम उदाहरण हैं जो यह बताते हैं कि जिद से कोई भी मुश्किल से मुश्किल काम को किया सकता है। 


अगर आप में जिद है या आप आप जिद्दी हो तो यार आप जो - जो काम कर सकते हैं वो बिना जिद वाला इंसान कभी नहीं कर सकता है चाहे वह काम सही हो या खराब हो। सही और खराब होना आपकी प्रकृति / स्वभाव पर निर्भर करता है ।

 मगर थोड़ा ठहरिए ज्यादा जिद आपके आपके  लिए सही नहीं है क्योंकि कोई भी चीज जब ज्यादा होने लगती है तो उसका साइड इफेक्ट होने लगता है।  इसके विपरीत / उल्टा अगर आप में जिद बहुत कम हो तो आप  किसी काम को अंजाम नहीं दे पाओगे / पाते हो। अगर ऐसा है तो आपको थोड़ा - सी जिद बढा़नी चाहिए पर कैसे यह सवाल भी उठ सकता है तो हम जानेंगे कि कैसे अपनी जिद को काम के अनुसार बढाएँ और घटाएँ। अगर बच्चों की बात करें तो बच्चों को इतनी समझ नहीं होती है कि वह जो जिद  कर रहे हैं  सही है या नहीं।




जिद क्या है  ? 


 जिद शब्द सुनने में सही नहीं लगता है क्योंकि हम बचपन से ही यही सुनते आयें हैं कि बेटा " जिद " करना सही नहीं होता है। इसलिए हमें यही लगता है कि जिद बुरी चीजों में से एक है। दुनिया में हर चीज उपयोग के अनुसार सही और गलत होती है। हम सबको यह पता है कि घी एक शेहतमंद खाने वाली चीज है। लेकिन यही फायदेमंद चीज नुकसानदेह हो सकती है। कैसे बहुत ज्यादा मात्रा में घी सेवन करना हानिकारक होता है। तब कुल मिलाकर देखा जाये तो हमारे उपयोग करने का तरीका ही किसी चीज को गलत  या सही बनाता है।
जिद क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है । चलिए जानते हैं

जिद  ( Recalcitration )  : 

किसी के द्वारा कड़वे वचन सूनने, अपमानित होने,  बदले की भावना, सम्मान पाने की भावना, किसी कारण से गुस्सा की भावना या कुछ हासिल करने की भावना जब उत्पन्न होती है तब जिद का जन्म होता है। 

                                         या

" जिद मन की एक ऐसी भावात्मक ऊर्जा है जो किसी चीज को पाने के लिए  या गुस्से से उत्पन्न होती है ।" 


जिद सामान्यतः दो प्रकार की होती हैं  - 
  1. सही जिद ( Right Recalcitration  ) 
  2. गलत जिद ( Wrong Recalcitration ) 
सही जिद के उदाहरण : किसी जरूरी काम को करने की जिद, अपने या किसी की बात या मान सम्मान को बचाए रखने की जिद, पढा़ई में सफल होने की जिद इत्यादि सही जिद ( Right Recalcitration  ) के उदाहरण हैं  ।


गलत जिद के उदाहरण :  बिना सार्थक कारण के किसी भी विषय पर जिद करना, अनावश्यक जिद करना, गलत कामों में जिद का करना , किसी चीज की अति होने के बाद भी जिद करना, जरूरी काम नहीं करने की जिद करना इत्यादि गलत जिद के उदाहरण हैं। 


दुनिया में कोई चीजें खराब / बेकार नहीं होती है,  अगर खराब है तो हमारे उपयोग करने का तरीका ।  किस चीज का कहाँ कितना और कब उपयोग करना चाहिए इसका ज्ञान हमें होना / करना चाहिए। उसी में से एक है  जिद जिसको हममें से बहुत लोग बुरा मानते हैं पर असल में कोई भी चीज बुरी नहीं होती है बस हमारा नजरिया और उपयोग उस चीज को बुरा बनाता है । 

जैसे - अधिक मोबाईल चलाने सेहत के लिए सही नहीं है पर अगर मोबाईल का थोड़ा सा उपयोग किया जाए तो सही होता है । अधिक मात्रा में खाना, खाना भी बेकार साबित होता है । ज़्यादा पढ़ना, ज़्यादा सोना, ज़्यादा जागना , ज़्यादा आराम ,  ज़्यादा  गेम खेलना आदि खराब है । इन्हीं में से एक  ज़्यादा जिद भी खराब होती है । पर अगर इनसे हमें लाभ लेना है तो हमें इनका उपयोग जरूरत के हिसाब से करना चाहिए, मतलब न ज्यादा न कम ।

कुछ जाने माने लोगों के नाम यहाँ ले रहा हूँ जिन्होंने जिद का सही उपयोग करके अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और दुनिया भर में प्रसिद्ध ही नहीं बल्कि अमर हो गये।

थामस एल्वा एडीसन -  । एकबार ट्रेन में प्रयोग करने के दौरान आग लग गयी। इसलिए उन्हें  ट्रेन से निकाल दिया गया । लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने प्रयोग को करना बंद नहीं किया। जब बल्ब के  आविष्कार के बारे अन्य वैज्ञानिकों से एडिसन ने बताया तो इस बात पर उनका बहुत मजाक बनाया गया कि " विधुत ऊर्जा" यानी बिजली से भी भला कोई प्रकाश किया जा सकता है। इस बात से एडिसन को बहुत बुरा लगा और उनके दिल में आग जैसी जिद आ गयी और इस जिद को उन्होंने पक्के इरादे में बदलकर बल्ब का आविष्कार कर दिया। इस तरह वे इतिहास में अमर हो गयें। इसमें एडिसन ने अपनी जिद को पक्के इरादे में बदला ना कि उन वैज्ञानिकों पर गुस्सा में व्यर्थ किया। ऐसे तमाम उदाहरणों से भरा पड़ा है है संसार ।

हमे भी अपनी जिद को पक्के इरादे में बदलकर अपने काम को करना चाहिए।

किस तरह से जिद का उपयोग करें कि हम हर काम में सफल हों जायें  ? 






दोस्तों जिस तरह किताब पढ़ने को तो कम पढा़ - लिखा आदमी भी पढ़ सकता है लेकिन सभी लोग उस लिखे का मतलब नहीं समझा सकतें है। कहने का मतलब है यह है कि सिर्फ किसी चीज का हल बताना काफी नहीं होता है , बल्कि उसे कैसे हल करें यह ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। ठीक इसी तरह जिद के बारे में यह बताना जरूरी है कि कब, कहाँ और कैसे किस तरह से जिद करनी चाहिए । तभी इसका पूरा - पूरा फायदा उठा सकते हैं। जिद करने के निम्नलिखित नियम देखिए -


  1. जिद एक भावात्मक ऊर्जा है,  इसे अच्छे कामो में लगाएँ। 
  2. जिद करते या होते समय यह जरूर देखें कि हमारी जिद कितनी सही है तभी कोई कदम बढाएँ क्योंकि भावुकता में आकर किया गया काम हमें परेशानी में डाल सकता है। 
  3. जहाँ आवश्यक हो वहीं इसका प्रयोग करें , बिना सार्थक कारण के इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए । 
  4. पढ़ाई हो या मान सम्मान पाने की बात यहाँ आवश्यक जिद का उपयोग करें। 
  5. किसी काम में सफल होने की जिद करनी चाहिए पर लिमिट का ध्यान जरूर रखना चाहिए  ।
  6. सफल होने के लिए अपनी जिद को बनाए रखना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। 



आगे जारी ✍️ रहेगा.....









एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ