Black hole prakash ko bhi kaise kheench leta hai

   ब्लैकहोल क्या है ?  What is black Hole 

   दुनियाँ में बहुत सारी ऐसी रोचक जानकारियाँ हैं जिनसे हम आश्चर्यचकित हो जाते हैं और पता नहीं क्या - क्या कहने लगते हैं, जैसे - चमत्कार, अविश्वसनीय, अकल्पनीय, गजब, अनसुलझा इत्यादि।

   उन्हीं में से एक है  black  hole  (   काला छिद्र )। ब्लैक होल की विशेषता यह है कि अगर इसके आसपास से कोई भी वस्तु होकर गुजरती है तो उसका सम्पूर्ण क्षय या विनाश हो जाता है। 


Black hole
Black Hole


      सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इतनी नकारात्मक ऊर्जा आती कैसे है जो एक सेकेेंड के अंदर ही अंदर इसमें आने वाली वस्तु को परी तरह से अदृश्य कर देती है । ये तो कुछ भी नहीं है,क्योंकि इसके आसपास से अगर किसी भी वस्तु ( जैसेे किसी सूर्य ) का प्रकाश गुजरता है तो वह चाहे किसी भी दिशा में जाने वाला ही क्यों ना हो मगर उसे उस ब्लैक होल की तरफ ही जाना पड़ेगा। इसके बाद वहीं पर उस प्रकाश का समापन हो जायेगा। सामान्यतः बात करेें तो प्रकाश को कोई भी वस्तु ऐसे समाप्त नहीं करती है। मगर इस मामले में उल्टा है। सबसे पहले हम यह जानतें हैं कि ब्लैक होल बनता कैसे है फिर इसके बाद प्रकाश के बारे में समझने में आसानी होगी।


Black Hole कैसे बनता है ?

               वैज्ञानिकों का कहना है यह तब उत्पन्न होता है जब कोई विशाल या बड़ा तारा  अपना अस्तित्व खो देता है या जब वह मर जाता है कहा जाता है कि ब्लैकहोल का गुरुत्वाकर्षण बहुत प्रबल होता है कि जिससे वह अपने पास से गुजरने वाली सभी वस्तुओं को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है । पर इस छोटे से जवाब से शायद ही हमारा मन - मस्तिष्क सन्तुष्ट हो रहा हो। क्योंकि हमें वह असल कारण ही नहीं पता है कि असल में यह होता कैसे है। आईए जानने की कोशिश करते हैं। इसको समझने के लिए हम कुछ ऐसे तर्क देखेंगे जो वैज्ञानिकरूप से पुष्टि कर सकते हैं ➖

  संभावना नं. 1 »

     जब कोई बड़ा तारा फटता या नष्ट होता है तो वह एकाएक फैल जाता है जिसके कारण उस तारे के केन्द्र पर कोई द्रव्य नहीं रह जाता है और इस वजह से वहाँ कुछ भी ऊर्जा नहीं बचती है । परिणामस्वरुप अति निम्न दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है और यही कारण हो सकता है कि जिससे कोई भी वस्तु इसकी तरफ खींची चली जाती है फिर चाहे प्रकाश ही क्यों न हो चुँकी प्रकाश भी एक ऊर्जा है तो इसका भी ब्लैकहोल की तरफ झुकाव स्वभाविक हो जाता है । ये बात बिल्कुल उसी तरह से है जैसे किसी खेत में जब पानी रहता है और खेत में कोई बड़ा - सा होल हो और एकाएक खुल जाए तो क्या होगा ?
         उस होल या छिद्र में पानी ही नहीं बल्कि मिट्टी भी चली जाती है। हमने देखा होगा कि जब ऐसे होल में पानी जाता है तो घूमावदार भवर काटते हुए जाता है। ऐसा तब होता है जब पानी अधिक हो और छिद्र पानी की मात्रा के मुकाबले छोटा हो। और अगर छिद्र पानी के मुकाबले बहुत बड़ा होता है तो पानी सिधे तौर पर ही छिद्र में प्रवेश करता है। 
        इस तरह से black hole और पानी के बिच छिद्र में समानता हम आसानी से देख सकते हैं। 

संभावना नं. 2 »

           ब्लैकहोल तब बनता होगा जब किसी बड़े तारे का अंत  होने वाला होता हो। ब्लैकहोल बनने के लिए तारे के कोर की आकर्षक क्षमता इतनी प्रबल होनी चाहिए कि तारा अपने द्रव्यमान को अपने केन्द्र पर ला सके । अतः कोर की क्षमता अत्यंत तिव्र और प्रबल होने के कारण तारे का मास अपने अंदर इतना सिकुड़ता जाता है कि कोर के चारो तरफ कोई मास नहीं रह जाता है जिससे इसका घनत्व बहुत अधिक हो जाता है। इस कारण से गुरुत्वीय बल पहले से बहुत कम और वैधुत बल अतितिव्र हो जाता है पर ऐसा तभी संभव है जब आवेशों बना तारा हो । क्योंकि सिर्फ  इस बात को हम इस सूत्र से आसानी से समझ सकते हैं।

" दो या दो से अधिक आवेशों के मध्य लगने वाले वैधुत बल का मान आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा इन  आवेशो के मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। 

सूत्र   F =  q1×q2/ r2

इस सूत्र से यह स्पष्ट है कि r का मान जितना कम होगा बल ( F ) का मान बढ़ जाता है। 
   आपको बता दें कि अभी तक स्पष्टतः कोई ऐसा कारण नहीं मिला है जो पक्के तौर पर यह कहा जाए कि असल वजह क्या है। इसकी बहस तो तबतक चलती रहेगी जब तक कि असली कारण का पता नहीं चल जाता है।
     इसलिए चलिए अब हम जानते हैं कि ब्लैकहोल प्रकाश को कैसे अपने आसपास से नही गुजरने नहीं देता है।

Black hole प्रकाश को इसलिए नहीं जाने देता है

        ये बात बहुत ही सरल और आसान है कि ऐसा क्यों होता है क्योंकि हम जानते हैं कि प्रकाश कणों से मिलकर बना है जिसे विज्ञान की भाषा में फोटाॅन कहते हैं। वैज्ञाानिकों के अध्ययन के अनुसार प्रकाश की दो प्रकृति ( कण और तरंग ) की है। ऐसा क्यों होता है इसके बारे में  ये आर्टिकल बहुत उपयोगी जानकारी देगा »
हम जानते हैं कि ब्लैक होल वैधुत बल द्वारा सभी वस्तुओं को अपनी तरफ खींचता है और नकारात्मक ऊर्जा अति प्रबल होने के कारण किसी भी वस्तु की सम्पूर ऊर्जा को खंडित खंडित करके विखेर देता है। चुँकि प्रकाश भी ( अतिशूक्ष्म ) कणों से मिलकर बना है इसलिए ब्लैकहोल इसे भी अपनी तरफ खींचकर इसकी ऊर्जा को समाप्त कर देता है। 

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