1+2+3+4+5 to infinity=-1/12 proof

 हैल्लो रिडर्स आज हम सब मिलकर एक ऐसी श्रेणी के योग पर चर्चा करनेे जा रहे हैं जिसे भारत के सबसे बड़े गणितज्ञों मे से एक माना जाता है। इनका नाम श्रीनिवास रामानूजन था।



  1+2+3+4+5+....k = - 1/12

क्या आपको ऊपर दिए गए श्रेणी का मान सही लग रहा है या गलत। हम जानते हैं कि धन पूर्णांक संख्याओं को जोड़ने पर योग ऋणात्मक नहीं आ सकता है तब ऐसे में यह मान सही कैसे हो सकता है।अगर हम यह कहें कि यह उत्तर सही भी है और गलत भी तो यह गलत नहीं होगा कैसे। आइए उदाहरणों की सहायता से इसको समझते हैं। 

 

  Example No. 1 | सही होगा जब  

   यह 1+2+3+4+5+....k = - 1/12  मान तभी सही होगा जब सभी पदों को जोड़ने पर - 1/12 आये मगर ऐसा नहीं है क्योंकि सभी पदों को 1 से लेकर k पदो तक जोड़ने पर कोई बड़ी से बड़ी संख्या प्राप्त होगी और वह धन में होगी ना की ऋण में। अब सही होने के लिए हमें कुछ कंडिशन लेना होगा। यानी - 1/12 योग श्रेणी का  1+2+3+4+5+...अनंत तक नहीं बल्कि किसी एक पद का मान है।  (-1/12) मान यह बता रहा है कि यह समान्तर श्रेणी (1+2+3+4+5+....k पदों तक)  ऋणात्मक में होगी।

 चलिए अब हम यह पता करतें हैं कि यह मान - 1/12 इस समान्तर श्रेणी 1+2+3+4+5+...कौन से पद का है।


 हल (Solution):

                   यह हम जानते हैं कि 1+2+3+4+5..यह एक समान्तर श्रेणी है। इसलिए हम बड़ी आसानी से यह पता कर सकते हैं कि - 1/12/ कितने पदों का योग है। 


  प्रथम पद (a) = 1

सार्वान्तर  (d) = 1

पदों का मान (n) = ? 

पदों का योग (S) = - 1/12


 अब सभी मानों को इस सूत्र S = (n/2)[2a+(n-1)d]

 में रखने पर,

-1/12 = (n/2)[2×1+(n-1)×1]

-1/12 = (n/2)[n+1]

-1/6 = n2 + n  ( हल करने पर)

   -1 = 6n2 + 6n 

6n2 + 6n + 1 = 0

 हल करने पर,

श्रीधराचार्य सूत्र से, 


n = - 6+_[36 -4×6 ]1/2 /12

n = -6+_( 36 -24)1/2  /12

n = -6 +_[12]1/2 /12

n = - 6 +_2(3)1/2/12

n = -6 + 2×1.732/12           +चिन्ह लेने पर

n = -3 + 1.732/6= - 1.268/6 = - 0.2113


n = -6 -2×1732/12             - चिन्ह लेने पर 

n = -3 - 1.732/6 = -4.732/6 = -0.79

यहाँ पर दो मान -0.2113 और -0.79 आये हैं,जो कि ऋणात्मक हैं। जिससे यह पता चलता है कि पदों की संख्या ऋणात्मक होगी तब ही पदों का योग ऋणात्मक होगा अन्यथा धनात्मक होगी।


स्पष्टीकरण (Explanation)

इस उत्तर से हमें यही लग रहा है कि किसी और उदाहरण की जरूरत नही होनी चाहिए क्योंकि उदाहरण एकदम सरल और स्पष्ट है कि किसी ऋणात्मक संख्या को जोड़कर ही ऋणात्मक संख्या प्राप्त होती है । कभी भी धनात्मक संख्याओं को जोड़कर ऋणात्मक संख्या नही प्राप्त होती है। 

वैसे आपकी क्या राय है कमेंट जरूर करें,धन्यवाद 






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