अगर हम किसी भी व्यक्ति से यह पूछते हैं कि एक दिन में कुल कितनी घण्टे होते हैं तो 90% संभावना (कब्जे) है कि वह व्यक्ति हमें यही जवाब देगा कि " एक दिन में कुल 24 घंटे होते हैं"
और उसे जवाब देने में महज एक सेकेंड या इससे भी कम समय लगेगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि एक दिन में कुल 24 घंटे नहीं होते हैं फिर फिर क्या होता है और क्यूं? यह जानना बहुत जरूरी है।
24 घण्टे से थोड़ा कम होता है एक दिन का समय।
एक दिन में 24 घण्टे नहीं होते, बल्कि 23 घण्टे 56 मिनट और 4.100 होते हैं । अब हमारे मन में यह सवाल उठ सकता है कि ऐसा क्यों है?
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और अगर ऐसा है भी तो हमें लोग क्यों नहीं बताते हैं।
दरअसल 24 घण्टे में केवल 3.931667 मिनट कम होते हैं जो कि लगभग बहुत कम है और इसलिए साधारण बोलचाल में हम 24 घण्टे ही कहते हैं। अब एक सवाल यह भी है कि आखिरकार 24 घण्टे क्यों नहीं होते हैं एक दिन में तो इसका जवाब है, पृथ्वी की गति।
और अगर ऐसा है भी तो हमें लोग क्यों नहीं बताते हैं।
दरअसल 24 घण्टे में केवल 3.931667 मिनट कम होते हैं जो कि लगभग बहुत कम है और इसलिए साधारण बोलचाल में हम 24 घण्टे ही कहते हैं। अब एक सवाल यह भी है कि आखिरकार 24 घण्टे क्यों नहीं होते हैं एक दिन में तो इसका जवाब है, पृथ्वी की गति।
क्या कारण है कि 24 घण्टे नहीं होते हैं एक दिन में ?
हम जाानते हैं कि पृथ्वी सूर्य का परिक्रमा / चक्कर लगाती है और इसके साथ ही साथ वह अपने अक्ष पर भी घूमती / परिक्रमा करती है और इसी वजह से रात और दिन का निर्माण होता है। पृथ्वी को अपने अक्ष पर घूमते हुए एक चक्कर लगाने में लगभग 23 घण्टे 56 मिनट और 4.100 सेकेंड लगता है। यही कारण है कि 24 घण्टे नहीं होते हैं ।
क्या पृथ्वी की घूर्णन गति हमेशा एकसमान रहती है ?
पृथ्वी की घूर्णन गति हो या परिक्रमण गति ये दोनों परिवर्तनशील हैं ये हमेशा बदलती रहती हैं पर फर्क इतना मामूली होता है कि हम साधारणतया यह कह सकते हैं कि कोई अन्तर नहीं होता है। पर यही मामूली अंतर कुछ दशकों या सैकड़ों वर्षों में स्पष्ट दिखाई देने लगता है। अभी वर्तमान समय ( 01. 01.2020 ) में 24 घण्टे में केवल 3.931667 मिनट का अंतर है परंतु कुछ दशकों बाद यही अंतर घटकर और भी कम हो जायेगा। क्योंकि धीरे-धीरे पृथ्वी की गति कम होती जायेगी। अब यहाँ पर एक और सवाल खड़ा हो उठता है कि पृथ्वी की गति क्यों कम होगी ?
पृथ्वी की गति वर्षदर - वर्ष कम होगी..
पृथ्वी की गति सूर्य के अभिकेन्द्रीय बल या पृथ्वी की सूर्य से दूरी के आधार पर तय होती है। पृथ्वी ही नहीं बल्कि कोई भी ग्रह सूर्य के जितना पास होता है उसकी परिक्रमण गति उतनी ही अधिक होती है और इसके विपरीत जो ग्रह सूर्य से जितनी अधिक दूरी पर होगा उसकी परिक्रमा करने की गति उतनी ही कम होगी । यह बात वैज्ञानिक कैपलर के द्वितीय नियम के अनुसार है। इसके अनुसार ग्रह का परिक्रमणकाल सूर्य से दूरी के अनुक्रमानूपाती होता।
उदाहरण के रूप में बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है जिसका परिक्रमणकाल 88 दिन का है जबकि सूर्य से सबसे दूरी पर प्लूटो था जिसका परिक्रमणकाल 248 वर्ष था पर अब यह ग्रह सूर्य की पकड़ से बाहर निकल चुका है । स्पष्ट है कि जैसे - जैसे पृथ्वी सूर्य से दूर जायेगी पृथ्वी का परिक्रमणकाल बढ़ता जायेगा। इस तरह 24 घण्टे पूरे हो जाएंगे और उसके बाद धीरे-धीरे 24 घण्टे से भी बढ़ता चला जायेगा।
डाॅपल प्रभाव के अनुसार "विश्व का विस्तार हो रहा है क्योंकि सभी गैलेक्सियाँँ एक दूसरे से दूर जा रही हैं।
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उदाहरण के रूप में बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक है जिसका परिक्रमणकाल 88 दिन का है जबकि सूर्य से सबसे दूरी पर प्लूटो था जिसका परिक्रमणकाल 248 वर्ष था पर अब यह ग्रह सूर्य की पकड़ से बाहर निकल चुका है । स्पष्ट है कि जैसे - जैसे पृथ्वी सूर्य से दूर जायेगी पृथ्वी का परिक्रमणकाल बढ़ता जायेगा। इस तरह 24 घण्टे पूरे हो जाएंगे और उसके बाद धीरे-धीरे 24 घण्टे से भी बढ़ता चला जायेगा।
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